
मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का गृह भाड़ा भत्ता नहीं बढ़ने पर मन में कई सवाल उठ रहे हैं।
क्या सरकार ने सोचा है कि महंगाई की मार झेल रहे कर्मचारी अब कहाँ रहेंगे?
क्या उन्हें झोपड़ियों में रहने का आदेश है?
अब कर्मचारी सोचेंगे कि शायद सरकार चाहती है कि वे ऑफिस में ही रह जाएं।
घर का किराया न दे पाने के कारण कर्मचारी अब कार्यालय में ही रात गुजारने को मजबूर होंगे।
सरकार यह सोंच कर गृह भाड़ा भत्ता नहीं बढ़ा रही है क्योंकी अगर गृह भाड़ा भत्ता बढाया तो कर्मचारी अच्छे घर में रहेगें इसलिए सरकार चाहती है कि कर्मचारी घर जाकर आराम न करें और दिन-रात काम करते रहें।
मध्य प्रदेश, भारत के हृदय में स्थित एक राज्य है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता है। लेकिन इस समृद्धि के बीच, राज्य के तृतीय श्रेणी कर्मचारी एक कठिन जीवन जी रहे हैं। कम वेतन, महंगाई का बढ़ता दबाव और बुनियादी सुविधाओं का अभाव उनके जीवन स्तर को लगातार नीचे खींच रहा है।
महंगाई की मार: आज के ज़माने में एक छोटा सा मकान किराए पर लेना भी आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। ऐसे में कर्मचारियों का भत्ता नहीं बढ़ाने तो जैसे नमक पर निमक छिड़कने जैसा है। सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने कर्मचारियों का हित देखे। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार कर्मचारियों को दंडित करने पर आमादा है।
मकानों के दाम: क्या सरकार को पता है कि पिछले कुछ वर्षों में मकानों के दाम कितने बढ़ गए हैं? क्या सरकार कर्मचारियों को सस्ते मकान उपलब्ध करवाने की कोई योजना बना रही है?
उत्तर :- क्या बात कर रहे हो सरकार सस्ते मकान कर्मचारियों को कभी नहीं
राज्य सरकार ने कर्मचारियों के गृह भाड़ा भत्ता यानी एचआरए बढाने के लिए 25 जनवरी 2023 में एक समिति बनाई थी, समिति को रिपोर्ट दो माह में सरकार को देने थी, शायद कमेटी ने एचआरए रिवीजन के लिए अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी होगी या भूल गयी होगी, जैसे सरकार कर्मचारियों को भूल गयी है।
महंगाई की बढ़ती दर ने तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के जीवन को और भी मुश्किल बना दिया है। खाद्य पदार्थों, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में कम वेतन पर जीवन यापन करना उनके लिए लगभग असंभव हो गया है।
तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को अक्सर बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहता है। उन्हें आवास, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्राप्त करने में काफी मुश्किल होती है।