डंडा नृत्य | Danda Dance
- निमाड़ के किसान चैत्र वैशाख मास की रातों में विशेषकर गणगौर पर्व के अवसर पर डंडा नृत्य करते हैं।
- डंडा नृत्य 20-25 लोगों के समूह में किया जाने वाला पुरुष नृत्य है।
- डंडा नृत्य के मुख्य वाद्य यंत्र ढोल और थाली हैं।
कर्मा | Karma
- यह बारिश के मौसम में राज्य के गोंड और उरांव जनजातियों द्वारा किया जाता है।
- संगीत के साथ आने वाले वाद्य यंत्र माधार, ठुमकी, पायरी, छल्ला और झुमकी हैं ।
- कर्मा नृत्य के विभिन्न रूप हैं जैसे सीकरी, झूमर, घाटवार, एकतारिया, पेंदेहर, दोहोरी, लहकी और तेगवानी।
- यह गोंड जनजाति के पुरुषों और महिलाओं द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
थापटी नृत्य। Thapti
- थापटी नृत्य एक आदिवासी पारंपरिक एवं प्रचलित जनजातीय नृत्य है, जो में निवास करने वाले कोरकू जनजाति के द्वारा किया जाता है । थापटी नृत्य कोरकू जनजाति में बहुत ही प्रसिद्ध है । इस नृत्य को चैत्र-बैसाख समय में किया जाता है
- विभिन्न जनजातीय नृत्यों की तरह यह पारंपरिक थापटी नृत्य भी सामूहिक रूप से किया जाने वाला नृत्य है, जिसमे स्त्री एवं पुरुष दोनों भाग लेते हैं । नृत्य करने के दौरान पुरुष अपने हाथों में पंचा और महिलायें अपने हाथों में चिटकोरा पकड़कर बजाते हैं, और नृत्य करते हैं ।
- नृत्यकार गोल आकृति में घूम-घूमकर कभी दायें तो कभी बायें झुककर नृत्य करते हैं । नृत्य में पैरों एवं हाथों की गति और चाल नृत्य समय गए जाने वाले पारंपरिक लोकगीतों के अनुसार थिरकते हैं ।
लहंगी नृत्य–Lehengi
- यह सहारिया एवं कंजर बंजारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। यह नृत्य रक्षा बंधन के दूसरे दिन सावन के महीने में किया जाता है। इसमें बाँस की टोकरियों में उगने वाले ज्वार-भाटे का चल समारोह होता है, जिसमें पुरुष वर्ग गोलाकार में नृत्य करते हैं।
भगोरिया नृत्य Bhagoriya
- म.प्र. के झाबुआ और अलीराजपुर क्षेत्र में निवास करने वाले भीलों का भगोरिया नृत्य, भगोरिया हाट में होली तथा अन्य अवसरों युवक-युवतियों वी द्वारा किया जाता है।
- भगोरिया हाटों क़ा आयोजन फागुन के मौसम में होली से पूर्व होता है। भगोरिया नृत्य में विविध पदचाप, समूहन पाली, चक्रीपाली तथा पिरामिड नृत्य मुद्राएँ आकर्षण का केंद्र होती हैं |
- रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजी युवतियों का श्रृंगार और हाथ में तीरकमान लिए नाचना ठेठ पारंपरिक व अलौकिक होता है